Contents
- 1 Raksha Bandhan का महत्व: Significancе Of Raksha Bandhan
- 2 रक्षा बंधन का इतिहास: Raksha Bandhan 2023 History
- 3 Raksha Bandhan 2023 पूरे दिन भद्राकाल
- 4 रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त :Shubh Muhurat
- 5 सावन पूर्णिमा २०२३: Sawan Purnima २०२३
- 6 राखी पूजन विधि: Raksha Bandhan Pujan Vidhi
- 7 Rakhi बांधने की विधि
- 8 राखी बांधते समय मंत्र का उच्चारण करें – Rakhi Mantra
Raksha Bandhan का महत्व: Significancе Of Raksha Bandhan
Raksha Bandhan हिंदुओं का एक पवित्र त्योहार है इस त्योहार को श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। Raksha Bandhan के त्योहार के साथ ही हिंदुओ के सावन के महीने का अंत भी हो जाता है। रक्षा बंधन के दिन बहने अपने सगे सम्बन्दी भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। इसके अलावा बेटी भी अपने पिता को Rakhi बांधती ह और दूसरी तरफ बुआ अपने भतीजों को भी राखी बांधती है।
राखी बांधने के बदले भाई अपनी बहनों को तोहफा देते हैं और हर समय उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। Raksha Bandhan को लेकर कई प्रकार की कथाएं प्रचलित हैं. उन्ही में से एक है God इंद्र और उनकी wife सची की. इस कथा का जिक्र future में पुराण में किया गया है. असुरों के महान राजा बलि ने जब सबी देवताओं पर हमला किया तो इंद्र की पत्नी सची काफी परेशान हो गई थी
तो इसके बाद वह मदद के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंची थी फिर भगवान विष्णु ने सची को एक धागा दिया और कहा कि इसे अपने पति की कलाई पर बांधे जिससे उनकी जीत होगी. सती ने फिर ये दागा अपने पती की कलाई पर बांद दिया और ऐसा करने से इस युद्ध में देवताओं की जीत हुई.
रक्षा बंधन का इतिहास: Raksha Bandhan 2023 History
Raksha Bandhan के पीछे कई कहानियां हैं। इस दिन इन्द्र ने दैत्यों को हराया था। इसके अलावा राजा बलि और माता लक्ष्मी की कहानी भी रक्षाबंधन की शुरुआत का कारण बताई जाती है। भारत में Raksha Bandhan त्योहार हजारो वर्षों से मनाया जा रहा है मान्यता के अनुसार, जब शिशुपाल के युद्ध के समय भगवान विष्णु की तर्जनी उंगली कट गई थी तब द्रौपदी ने अपनी म्ह्क्कम्ल साड़ी का पल्लू फाड़कर उनके हाथ पर बांध दिया था. इसके बाद भगवान विष्णु ने द्रोपदी को रक्षा का वचन दिया था.
कहा जाता है कि तभी से भगवान कृष्ण जोकि विष्णु क अवतार थे वे द्रोपदी को अपनी बहन मानने लगे और कई सालों के बाद जब पांडवों ने द्रोपदी को जुए में हरा दिया और भरी सभा में जब दुशासन द्रोपदी का चीरहरण करने लगा तो भगवान कृष्ण ने भाई का फर्ज निभाते हुए द्रोपदी की लाज बचाई थी. तबी से बोला जाता ह की है कि रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाने लगा जो आज भी चले जा रहा है. श्रावण मास की पूर्णिमा को भाई-बहन के प्यार का त्योहार Raksha Bandhan मनाया जाता है.
भारत में raksha bandhan 2022 date को त्योहार कई स्थानों पर आयोजित किया जाता है भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आवास पर भी इस त्योहार को मनाया जाता है। साउथ इंडिया में Raksha Bandhan को (अवनि अवित्तम) कहा जाता है।
Raksha Bandhan 2023 पूरे दिन भद्राकाल
राखी का मुहूर्त 30 अगस्त 2023 को प्रातः10:58 मिनट से लेकर अगले दिन प्रात: 07:06 तक रहेगा. इस दिन भद्रा प्रात: 10:59 से रात्रि 09:03 तक रहेगी. जो पृथ्वी लोक की अशुभ भद्रा होगी. अत: भद्रा को टालकर रात्रि 09:03 के पश्चात् मध्यरात्रि 12:28 तक आप राखी बांध सकते है. हमारे शास्त्रों के अनुसार भद्रा काल में श्रावणी पर्व मनाने भी निषेध कहा गया है और इस दिन भद्रा का काल रात्रि 09:03 तक रहेगा.
इस समय के बाद ही Rakhi बांधना ज्यादा सही रहेगा. पूर्ण मासी के समय को लेकर पंचांग भेद भी हैं पंचांग के मुताबिक Raksha Bandhan सावन महीने की पूर्णिमा को हर साल मनाया जाता है. भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का यह त्योहार पूरे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र (राखी) बांधकर भाई की लंबी उम्र की कामना करती है. वहीं भाई भी बहन की रक्षा करने का प्रण लेता है. हमारे धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक रक्षाबंधन का पर्व भद्रा काल में नहीं मनाना चाहिए. धार्मिक मान्यता है कि, भद्रा काल के दौरान राखी बांधना अशुभ होता है.
रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त :Shubh Muhurat
Raksha Bandhan 2023 का त्योहार 30 अगस्त को मनाया जाएगा. हिंदू पंचांग के मुताबिक, सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 30 अगस्त 2023 को 10:58 मिनट से होगा. पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा आरंभ हो जाएगी जोकि रात्रि 09:03 तक रहेगी. शास्त्रों में भद्रा काल में श्रावणी पर्व मनाने का निषेध कहा गया है और इस दिन भद्रा का काल रात्रि 09:03 तक रहेगा. ऐसे में Raksha Bandhan का त्योहार 30 अगस्त को ही मनाया जाएगा। हालांकि, इस दिन भद्रा लगने के कारण आपको मुहूर्त की तरफ दयां रखना होगा।
आगे देखने से पहले बता दें कि पंजाब और हरियाणा के साथ साथ कुछ क्षेत्रों में जहां उदया तिथि की मान्यता है वहां 31 तारीख को सुबह 7 बजके 5 मिनट से पहले Raksha Bandhan का त्यौहार मना लेना अत्यंत फलदायी रहेगा।
सावन पूर्णिमा २०२३: Sawan Purnima २०२३
सावन पूर्णिमा २०२३ का आरंभ 30 अगस्त 2023 को प्रातः 10:58 मिनट से होगा. पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा आरंभ हो जाएगी जोकि रात्रि 09:03 तक रहेगी. शास्त्रों में भद्रा काल में श्रावण के त्यौहार मनाने के लिए मना किया गया है. इस दिन भद्रा का काल रात्रि 09:03 तक रहेगा. इस समय के बाद ही Rakhi बांधना ज्यादा सही रहेगा.
मुहूर्त | सुरूआत् | खतम |
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राखी बांधने के लिए प्रदोष काल मुहूर्त | रात्रि 09:03 | मध्यरात्रि 12:28 तक |
रक्षाबंधन भद्रा पूंछ | शाम 05:32 | शाम 06:32 |
रक्षाबंधन भद्रा मुख | शाम 06:32 | रात 08:11 |
रक्षाबंधन भद्रा का अंत समय | रात 09:02 | रात 09:02 |
अति आवश्यकता में मुहूर्त
बुधवार 30 अगस्त 2023 को भद्रा प्रारम्भ के पूर्व प्रात: 06:08 से प्रात: 09:27 तक और सायं 05:32 से सायं 06:32 तक भी राखी बांधी जा सकती है.
राखी पूजन विधि: Raksha Bandhan Pujan Vidhi
Raksha Bandhan के दिन सबसे पहले भाई बहन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर ले, फिर साफ-सुथरे कपड़े पहनकर सूर्य देव को जल अर्पण करे . फिर घर या पास के मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करें. भगवान की आराधना के बाद राखी बांधने के लिए जरूरी सामग्री इकठा कर लें. इसके बाद अहम रूप से चांदी, पीतल, तांबे या स्टील की कोई भी साफ थाली लेकर उस पर एक साफ-सुथरा कपड़ा बिछा लें. उस थाली में एक कलश, नारियल, सुपारी, कलावा, रोली, चंदन, अक्षत, दही, राखी और मिठाई रख लें. सामग्री को सही से रखने के बाद घी का दीया भी रख ले.
यह थाली मंदिर में चढ़ाएं. सबसे पहले एक राखी कृष्ण भगवान और एक गणेश जी को चढ़ाएं. भगवान को राखी चढ़ाने के बाद ऊपर बताए गए शुभ मुहूर्त को देख अपने भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुंह करवाकर बिठाएं. इसके बाद भाई को तिलक लगाएं, फिर Rakhi यानी रक्षा सूत्र बांधे और इसके बाद उसकी आरती करें. इसके बाद अपने भाई का मुहं मिठाई से मीठा करें.
राखी बांधते वक्त इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भाई-बहन दोनों का सिर किसी कपड़े से ढका जरूर होना चाहिए. रक्षा सूत्र बंधवाने के बाद माता-पिता या घर के बड़ों का आशीर्वाद लें.
Raksha Bandhan के दिन इन बातों का रखें ख्याल: Raksha Bandhan Collection
- Raksha Bandhan के दिन भाइयों को राखी बांधते समय मुहूर्त का खास ख्याल रखें.
- Raksha Bandhan के दिन राखी बांधते समय इस बात का ख्याल रखें कि भाई या बहन का मुख दक्षिण दिशा की तरफ नहीं होना चाहिए. दक्षिण दिशा को यम यानी मृत्यु की दिशा मानी जाती है. इस दिशा में मुख करके काम करने से आयु कम होती है.
- Raksha Bandhan के राखी के दिन भाई को तिलक लगाने के लिए चंदन या फिर रोली का इस्तेमाल करना चाहिए . इस दौरान सिंदूर का इस्तेमाल ना करें क्योंकि सिंदूर सुहाग की निशानी माना जाता है.
- Raksha Bandhan के राखी से पहले भाइयों की पूजा करते समय इस बात का ख़ास ख्याल रखें कि अक्षत के दाने टूटे हुए ना हो.
- Raksha Bandhan के दिन भाई की आरती करते समय एक बात का ख्याल रखें कि आरती की थाली में रखा गया दीपक टूटा-फूटा ना हो. इस दिन भाई की आरती उतारते समय घी के दीपक का इस्तेमाल करें. घी का दीपक जलाने से नकारात्मकता दूर होती है>>
Rakhi बांधने की विधि
Raksha Bandhan के दिन भाई को राखी बांधने से पहले राखी की थाली सजाएं. इस थाली में रोली कुमकुम, अक्षत, पीली सरसों के बीज, दीपक और राखी रखें. इसके बाद भाई को तिलक लगाकर उसके दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र यानी Rakhi बांधें. राखी बांधने के बाद भाई की आरती उतारें. फिर भाई को मिठाई खिलाएं. अगर भाई आपसे बड़ा है तो चरण स्पर्श कर उसका आशीर्वाद लें. वहीं अगर बहन बड़ी हो तो भाई को चरण स्पर्श करना चाहिए. राखी बांधने के बाद भाइयों को इच्छा और सामर्थ्य के अनुसार बहनों को भेंट देनी चाहिए. ब्राह्मण या पंडित जी भी अपने यजमान की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधते हैं. Learn About Infrastructure